Creativity

वह धर्म बुनती है

वह धर्म बुनती है

जब मंद पड़ने लगता है
आसमान में तारों का शोर!
रह जाता है चाँद के साथ शुक्र तारा
वह रोज उठती है,
सूरज की आँखें खुलने से पहले।

चुनती है खंडित पाषाणों से
व्यवस्थाओं को
और बो देती है अपने आँगन में।

SONIA
सोनिया प्रदीप गौड़

धर्म बुना गया है उसकी देह में
रात की लटों में उसे बरगला के
उधेड़ दिया जाता है।,
वो रोज उठ के
धर्म सिलती है,
ख्याल सुलगाती है
रात के लिए भूख पकाती है।

अचानक मुक्त हो जाती है
उन दिनों,
खंडित व्यवस्थाओं को सींचने से
धर्म को बुनने से,
कलम थामती है
खाली कागज में
शब्दों और विचारों का अभिसार कराती है
और दर्द के साथ जन्म होता है”एक नई कविता का”

पर वह कहता है-
तुम व्यवस्था पोषित करो
भूख पकाओ, लेकिन कविता मत रचो
क्योंकि स्त्री होकर देह पर कविता करना
धर्म पर सवाल करना है,
और स्त्रियां सवाल नहीं करती।

इन दिनों वह जब उठती है
देवदासियों की भटकती रूहों की चीखें सुनती है
घूँघट काढे लड़खड़ाती औरतें देखती है
पसीने से सनी काले अधकटे पंखों वाली सुन्दर सुन्दर चिड़ियों को देखती है,
जूतों की महक से सने पैरों को सूँघती है,
धब्बेदार कपड़ों पे मक्खियाँ भिन्नभिनाते देखती है,
पर अब कविता नहीं रचती
वो कवि नहीं है—-वो सिर्फ एक औरत है
जो रोज सवेरे उठते ही धर्म बुनती है!

  • सोनिया प्रदीप गौड़

    Tags

 

She , religion , weave , fabric , morning , woman , birds, newslive24x7.com

newslive24x7

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button