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वाइन से कमजोर हो सकती है याददाश्त

एक रिसर्च में हुआ खुलासा
लंदन 


लोग सोचते हैं कि कम मात्रा में वाइन पीने का कोई नुकसान नहीं होता है, लेकिन ये सोच गलत साबित हुई है। एक रिसर्च सामने आई है जिसके मुताबिक, सिर्फ एक पाइंट वाइन यानि एक गिलास वाइन से सेहत को बहुत नुकसान हो सकते हैं। रिसर्च के मुताबिक, मिडिल ऐज के जो लोग रोजाना एक पाइंट वाइन लेते हैं, 70 की उम्र तक आते-आते उनकी ब्रेन की पॉवर कम हो जाती है यानि उनका ब्रेन श्रिंक होने लगता है। यहां तक की मॉडरेट ड्रिंकर्स जो एक रात छोड़कर दूसरी रात वाइन का सेवन करते हैं उनका ब्रेन श्रिंक होने का खतरा भी बढ़ जाता है। ऑक्सफोर्ड एंड यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन के शोधकर्ताओं द्वारा की गई रिसर्च में पाया गया कि एक सप्ताह में 14 से 21 यूनिट ड्रिंक करने से यानि 6 से 9 पाइंट बीयर का असर 175 एमएल वाइन के बराबर होता है। दोनों ही मात्रा में ड्रिंक करने से दिमाग छोटा हो जाता है और बुढ़ापे में दिमाग की पॉवर कमजोर हो जाती है। एक्सपर्ट चेतावनी देते हैं कि एल्कोहल का असर पहले बहुत कम लेवल पर र्स्टाट होता है। इसके बाद बड़े स्तर पर डेमेंशिया के रूप में इसका असर सामने आता है। जनवरी 2016 में महिला और पुरुषों के लिए गाइडलाइन चेंज करते हुए लंदन की सरकार ने नई गाइडलाइन में जारी किया था कि दोनों ही एक सप्ताह में 14 यूनिट से ज्यादा ड्रिंक नहीं कर सकते।ब्रिटीश मेडिकल जर्नल में पब्लिश हुई इस रिसर्च में 30 साल के गैप में 43 से 73 साल तक के 550 लोगों को शामिल किया गया। रिसर्च में इन लोगों के एल्कोहल सेवन, इनकी क्षमताओं और ब्रेन को स्कैन किया गया। रिसर्च के नतीजों में सामने आया कि एल्कोहल का सेवन करने से दिमाग का राइट हिस्सा हिप्पोकैम्पस छोटा हो गया है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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