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जानिये किस राशि के लिए किन देवी की पूजा ज्यादा फलदायी

संसार के हर प्राणी को अच्छे व स्वस्थ जीवन की कामना होती है। हर कोई ये कोशिश करता है कि वो अपने परिवार की जीविका के लिए उचित संसाधन इकट्ठा कर सके ताकि जीवन अच्छे से चलता रहे। ऐसे में देवी दुर्गा के मंत्र सबसे बेहतर उपाय साबित होते हैं। आज हम आपको बताते है देवी मां के ऐसे मंत्र के बारे में जिससे बदहाली, रोग, कर्ज, शत्रु बाधा सब झट से खत्म हो जाते हैं। इस मंत्र के प्रताप से इंसान को सिद्धि, संतान, सफलता सबकी प्राप्ति हो जाती है।
माता दुर्गा की उपासना के लिए आठ अक्षरों का 1 अद्भुत मंत्र बताया गया है वो है ’ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नम’इस मंत्र। को जपने का सीधा और सरल उपाय है। इसे करने के लिए शुक्रवार का दिन सबसे अच्छा माना गया है। आप चाहें तो हर दिन इसका जाप कर सकते हैं। इसके लिए माता रानी को धूप दीप करके उन्हें लाल फूल चढ़ाएं और स्फटिक की माला से ऊपर बताए गए मंत्र का एक माला जाप करें।
राशि के अनुसार करें देवी के रूप की पूजा
वैसे तो देवी दुर्गा का हर रूप की पूजा भक्तों के लिए लाभकारी होती है, लेकिन अगर आर अपने राशि के हिसाब से देवी के रूप की पूजा करें तो आपके लिए ज्यादा फलदायक होगा।
हम आपको बता रहे हैं आपकी राशि के अनुसार नवरात्र में देवी दुर्गा के किस रूप की पूजा करें।
मेष राशि के लोग अगर स्कंद माता की पूजा करें तो जल्द ही उनकी सारे सपने पूरे हो सकते हैं।
वृषभ राशि के लोग मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की उपासना करें, इससे उन्हें मनचाहा फल मिलेगा।
मिथुन राशि के लोगों को ब्रह्मचारिणी की उपासना करनी चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान प्रदाता, विद्या के अवरोध दूर करती हैं।
कर्क राशि के लोगों को शैलपुत्री की आराधना करनी चाहिए।.
सिंह राशि के लिए मां कूष्मांडा की साधना विशेष फल करने वाली है। दुर्गा मंत्रों का जाप करें।
कन्या राशि के लोगों को ब्रह्मचारिणी का पूजन करना चाहिए।
तुला राशि के लोगों को महागौरी की पूजा-आराधना से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
वृश्चिक राशि के लोग स्कंदमाता की उपासना करें, इससे उन्हें उचित फल मिलेगा।
धनु राशि के लोग चंद्रघंटा की उपासना करें।
मकर राशि के लोगों के लिए कालरात्रि की पूजा सर्वश्रेष्ठ मानी गई है।
कुंभ राशि के लोगों कालरात्रि की उपासना करें।
मीन राशि के लोगों को चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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