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सेहत भी ठीक रखता है स्वादिष्ट खसखस

खसखस बेहद स्वास्थ्यवर्धक होता है। जहां यह मिठाइयों और पकवानों का स्वाद बढ़ाने के तौर पर इस्तेमाल होता हैं, वहीं यह कई प्रकार की बीमारियों से निजात भी दिलाता है। अगर आपको बहुत प्यास लगती है और पेट में जलन रहती है तो खसखस से आराम मिल सकता है। खसखस प्यास बुझाने के साथ ही बुखार, सूजन से भी राहत दिलाता है और यह एक दर्द-निवारक के तौर पर भी इस्तेमाल होता है। खसखस के लाभ इस प्रकार हैं।
प्रोटीन का अच्छा स्रोत
खसखस के बीज ओमेगा-6 फैटी एसिड, प्रोटीन, फाइबर का अच्छा स्रोत हैं। इसके अलावा इसमें विभिन्न फाइटोकेमिकल्स, विटामिन बी, थायमिन, कैल्शियम और मैगनीज भी होता है इसलिए खसखस को एक उच्च पोषण वाला आहार माना जाता है।
नींद से जुड़ी समस्याओं में राहत
खसखस नींद से जुड़ी समस्याओं में राहत देता है क्योंकि इसके सेवन से नींद आसानी से आती है। अगर आप भी अनिद्रा की समस्या से परेशान हैं तो सोने से पहले खसखस के पेस्ट को गर्म दूध के साथ लें, अच्छी नींद आयेगी।
पेट को रखता है ठीक
खसखस फाइबर का बहुत अच्छा स्रोत है। इसमें इसके वजन से लगभग 20-30 प्रतिशत आहार फाइबर शामिल होता है। फाइबर कब्ज की समस्या को दूर करने में बहुत लाभकारी होती है।
सांस की बीमारेयों को करे ठीक खसखस के बीज सांस की बीमारियों के इलाज में बहुत कारगर हो सकते हैं। यह खांसी को कम करने में मदद करता है और अस्थमा जैसी समस्याओं के खिलाफ लंबे समय तक राहत प्रदान करता है। इसलिए अगर आप भी स्वस्थ रहना चाहते हैं तो खसखस का सेवन जरूर करें।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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