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बेटी

बेटी

 भर दूँगी ख़ुशियों से दामन,
मुझको कम न समझना तुम
नाम रौशन ही करूँगी,
मन को मैला करना न तुम
बेटा ज़िगर का टुकड़ा तुम्हारा,

मैं भी तुम्हारा अंश हूँ
जन्म से पहले न मारो,
मैं भी तुम्हारा वंश हूँ

Beti Bachao Beti Padhao Edited

शिक्षा की छाँव देना मुझे,
न बोझ तुम कहना कभी

गौरा सी मैं बनूँगी,
गर्व करेंगे फिर सभी
मत धुलो तुम पाँव मेरे,
न नौ दिन के व्रत रखो
मैं तुम्हारा सम्बल बनूँगी,

तुम यदि हिम्मत रखो
घोंटो न मेरा गला तुम,
मेरी माँ की कोख में
अस्तित्व मेरा यूँ मिटाकर,
फिर दिन काटोगे शोक में

  • कान्ता घिल्डियाल

Tags

Girl child, Mother, Happiness, Sorrow, Education,newslive24x7.com

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राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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