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डायबिटीजः अब नहीं काटने पड़ेंगे संक्रमित अंग

टोरंटो


डायबिटिज के रोगियों के इलाज का एक ऐसा नया तरीका ईजाद किया गया है, जिससे मधुमेह के रोगियों को चोट लगने पर उनके जख्म भर जाएंगे, जो अब तक नहीं हो पाता था और इसी वजह से कई बार उनके अंग काट देने पड़ते थे। मधुमेह के रोगियों को अक्सर पैरों पर जख्म होते रहते हैं, जिसे खराब रक्त संचार के कारण ठीक करना अमूमन मुश्किल होता है। इन घावों से होने वाले गंभीर संक्रमण में अंग काटना पड़ जाता है ताकि बाकी अंगों को बचाया जा सके।

कनाडा में यूनिवर्सिटी ऑफ मांट्रियल हॉस्पिटल रिसर्च सेन्टर में स्नायु विज्ञानी ज्यां प्रांस्वा केलेर ने कहा, इस तरह के उपचार से हम मधुमेह रोगी को होने वाले जख्मों को भरने में कामयाब हो सकते हैं। हम अंग विच्छेद से बच सकते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि हमने एक ऐसा तरीका ईजाद किया है जिससे कुछ खास श्वेत रक्त कोशिकाओं में बदलाव किया जा सकता है और उन्हें त्वचा संबंधी जख्मों को तेजी से भरने में सक्षम बनाया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह जानी पहचानी बात है कि श्वेत रक्त कोशिकाएं जख्मों को भरने की सामान्य प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाती हैं। इन श्वेत कोशिकाओं को कोशिकीय स्वच्छ प्रक्रियाओं में महारत होती है और ये ऊतकों की मरम्मत के लिए आवश्यक होती हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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