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आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर शिक्षा शास्त्र पद की शर्त में किया यह संशोधन

हरिद्वार। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में एमएड डिग्री को एमए शिक्षा शास्त्र के समकक्ष मानते हुए उत्तराखंड के महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्तियों के संबंध में संशोधन किया है। असिस्टेंट प्रोफेसर शिक्षा शास्त्र के पद के लिए अब एमएड डिग्री धारक भी आवेदन कर सकते हैं।

पढ़िये- उत्तराखंड लोक सेवा आयोग का शुद्धिपत्र

आयोग के शुद्धिपत्र के अनुसार, चार दिसम्बर, 2021 को उत्तराखंड के डिग्री कालेजों में असिस्टेंट प्रोफसरों की नियुक्तियों के संबंध में ऑनलाइन आवेदन मांगें गए थे। उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के अनुपालन में एमएड डिग्री को एमए शिक्षाशास्त्र के समकक्ष माना गया है। इसी क्रम में एमएड डिग्रीधारक अभ्यर्थी भी असिस्टेंट प्रोफसर शिक्षाशास्त्र के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। विज्ञापन की अन्य शर्ते यथावत रहेंगी।
मालूम हो कि चार दिसंबर, 2021 को जारी विज्ञापन में  उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UTTARAKHAND PUBLIC SERVICE COMMISSION) ने राज्य के डिग्री कॉलेजों में विभिन्न विषयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों के 455 पदों पर नियुक्तियों के लिए ऑनलाइन आवेदन (Online Application) आमंत्रित किए हैं।

आयोग का विज्ञापन देखने के लिए क्लिक करें- असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए आवेदन का विज्ञापन

ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 24 दिसंबर 2021 है। आयोग ने 26 विषयों में असिस्टेंट प्रोफेसर पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए हैं।

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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