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जब हिरन ने टाइगर को डराकर भगा दिया

एक बार की बात है, जंगल में हरी घास के मैदान में हिरन अपने दो बच्चों के साथ चर रहा था। तीनों बड़े मजे में स्वादिष्ट घास का आनंद ले रहे थे। हिरन के बच्चे काफी उत्साही थे और उछल कूद कर रहे थे। घास चरने के साथ ही हिरन को उनकी ओर भी ध्यान देना पड़ रहा था। दौड़ते-दौड़ते दोनों कुछ दूरी पर टाइगर की गुफा के पास पहुंच गए। वहां आसपास जानवरों की हड्डियां पड़ी थीं। बच्चों को टाइगर की गुफा के पास देखकर हिरन घबरा गया। उसने बच्चों को आवाज लगाई कि वहां नहीं जाना, मेरे पास आओ, लेकिन बच्चे कहां सुनने वाले थे। दोनों बच्चे गुफा में घुस गए।

बच्चों को गुफा में जाता देखकर हिरन बुरी तरह घबरा गया। तभी उसने देखा कि टाइगर अपनी गुफा की ओर आ रहा है। हिरन काफी परेशान हो गया। वह गुफा की ओर तेजी से दौड़कर बच्चों को वहां से नहीं ला सकता था, क्योंकि टाइगर तो एकदम गुफा के पास ही पहुंच गया था। तभी हिरन को एक उपाय सूझा, उसने पेड़ों के पीछे छिपकर अजीब सी आवाज निकालते हुए कहा, बच्चों तुम्हारे शाम के भोजन का इंतजाम हो गया है। टाइगर तुम्हारी ओर ही आ रहा है, आज तुम दोनों टाइगर को मारकर उसे अपना भोजना बना लेना।

टाइगर ने जैसे ही यह आवाज सुनी, वह घबराकर उल्टे पैर दौड़ने लगा। वह कह रहा था, जंगल में सबसे ताकतवर तो मैं हूं। यह कौन सा नया जानवर आ गया है, जिसके बच्चे मुझे मारकर भोजन बनाने की ताकत रखते हैं। उधर, हिरन लगातार आवाज लगा रहा था और टाइगर अपनी गुफा से दूर भागा जा रहा था। टाइगर को भागते देख भेड़िया चिल्लाया, भाई कहां भागे जा रहे हो। टाइगर ने कहा, अपनी जान बचानी है तो तुम भी कहीं दूर भाग लो। जिस जानवर के बच्चे मुझे ही मारकर खाने की ताकत वाले हैं, अंदाजा लगाओ वह कितना ताकतवर होगा।  

टाइगर की बात सुनकर भेडि़ये ने कहा, पहले आप रुक तो जाओ। ऐसा कोई जानवर नहीं है, जो आपसे ताकतवर है। मेरे साथ आओ, मैं चलता हूं आपके साथ। देखते हैं कौन और कितना ताकतवर जानवर है वह, जो आपको खा जाएगा। टाइगर ने कहा- भाई, तुम चले जाओ, मैं तो बहुत घबराया हुआ है। अगर तुम मुझे छोड़कर भाग आए तो मैं तो मारा जाऊंगा, टाइगर बोला।

भेड़िये ने कहा, एक काम करो, अपनी पूंछ को मेरी पूंछ से बांध लो। ऐसे में दोनों साथ-साथ रहेंगे। घबराना नहीं। टाइगर को समझाकर भेड़िये ने उसकी पूंछ से अपनी पूंछ बंधवा ली। दोनों एक साथ गुफा की ओर बढ़ने लगे। उधर, हिरन के बच्चे अभी तक गुफा से बाहर नहीं निकले थे। इस बार भेडि़ये को भी टाइगर के साथ देखकर हिरन घबराने लगा, लेकिन उसने एक बार फिर हिम्मत से काम लिया।

हिरन ने फिर आवाज लगाई, बच्चों टाइगर फिर अपनी गुफा की ओर आ रहा है, तुम इसको मारकर खा लेना। मैं थोड़ी देर में आऊंगा। सुनो, भेड़िया तुम्हारे लिए टाइगर को बांधकर ला रहा है। कुछ हिस्सा भेड़िया को भी खिला देना। वह कह भी रहा था, तुम्हारे लिए रोजाना बड़े-बड़े जानवरों को बांधकर लाऊंगा। ऐसा सुनते ही भेड़िया पसीने पसीने हो गया। टाइगर ने उससे कहा, भेड़िया तुम मुझे धोखे से यहां लाए हो।

भेड़िया बोला, मैं तो इस जानवर को जानता भी नहीं और न ही मैंने इसको देखा है। टाइगर ने कहा, भेड़िया तुमको तो मैं बाद में देख लूंगा। अभी जान बचानी है। दहशत में टाइगर दौड़ने लगा। पूंछ बंधी होने की वजह से वह भेड़िये को घसीटते हुए भाग रहा था। टाइगर कूदकर चट्टान पार करने की कोशिश कर रहा था कि पूंछ से बंधे भेड़िये का सिर चट्टान पर लगा और वह वहीं ढेर हो गया। टाइगर की पूंछ टूट गई। अब डरपोक टाइगर बिना पूंछ के घूम रहा है। वहीं हिरन ने अपने बच्चों को सही हालत में गुफा से बाहर निकाल लिया।

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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