Blog LiveFeaturedPolitics

कबीले में चुनाव-1ः सत्ता, सियासत और बगावत

पहाड़ से लेकर मैदान तक विस्तार लिए उत्तराखंड का प्राकृतिक सौंदर्य पूरी दुनिया को लुभाता है। यहां पर जन्मीं कई नदियां देश के लिए उपहार हैं।

उत्तराखंड के घने वन में एक बड़ा कबीला है, जिस पर सिर्फ और सिर्फ सियासत हावी है। सत्ता के लिए यहां बागियों और बगावत की कहानी बड़े चाव से सुनी जाती है।

इस कबीले में सत्ता-सियासत और गुटबाजी की जड़ें कहीं और से जुड़ी हैं। वहां के दखल ने कबीले के दो राजाओं को गद्दी से उतार दिया। हाल यह है कि बाद में ये राजा खुद ही कहते हैं, उन्हें नहीं पता, क्यों हटाया।

कबीले में सियासत करने वाले कुछ बड़े चेहरे हैं।

इनमें एक हैं बड़े महाराज, जो स्वयं सिद्ध हैं। वो चाहते हैं कबीले की सत्ता मेरे इर्द गिर्द रहे। उनके बारे में कहा जाता है, इनके साथ रहने वाले कभी आगे नहीं बढ़ पाते।

उनके सामने, दूसरों के लिए वर्चस्व का प्रश्न पैदा हो जाता है। इसलिए इनके गुट में भी एक गुट अपने आप बन जाता है। चुनाव से पहले, ये अपने पूरे गुट को पीछे छोड़ने के लिए गति बढ़ा देते हैं।

इनके पास एक यंत्र है, जिससे कोई भी बात मन में आने से पहले तुरंत फैला देते हैं। आजकल सत्ता से बाहर हैं और देवताओं के दरबार में मत्था टेककर खुद को सुधारने की कसमें खा रहे हैं। देवताओं से सत्ता दिलाने की गुहार लगा रहे हैं।

बागी और बगावत शब्द इनके कानों में हर समय गूंजते होंगे, इसलिए बागियों पर निशाना लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ते।

बागियों और बगावत ने इनको संकट में डाल दिया था। इनको सत्ता से बाहर ही कर दिया था। इसलिए ये उनसे नाराज हैं। इस बार सत्ता पाने के लिए बागियों और बगावत करने वालों की तरफ कभी खुशी, तो कभी गम के भाव से देख रहे हैं।

कबीले में एक और नेता हैं, जिनका नाम है बड़बोले महाराज। यह नाम कैसे पड़ा, आप इनकी गतिविधियों से समझ जाओगे। बड़े महाराज की नाक में खुजली करने का दम ये ही भरते हैं। पाला बदलना इनकी खासियत है।

अपने मन की करते हैं और अपने मुखारबिंद से कभी कभी खुद को भी कोस लेते हैं। ये उसी गुट में रहना चाहते हैं, जिसके पास सत्ता होती है।

सत्ता किसी भी गुट की हो, ये हमेशा वजीर होने की नजीर हैं। इनकी तरह वाले और भी हैं, फिलहाल कबीले में इनकी चर्चा और से ज्यादा है।

कबीले के राजा हैं गुणी महाराज। ये कहते हैं- बातें कम, काम ज्यादा। शायद वो नहीं जान पा रहे हैं कि इस कबीले में बातों से ही हलचल होती है। ये बड़बोले महाराज से बिल्कुल भी नहीं सीखना चाहते।

फिर से राजा बनने के लिए कबीले को स्वर्ग से भी सुंदर बनाना चाहते हैं। लगता है, एक दिन कबीले के बाशिंदों के सामने खजाना खोलकर कहेंगे, जिसको जितना चाहिए, ले जाओ।

भले हैं, अपने काम में लगे हैं, पर अपने गुट में ही घिरे जा रहे हैं। वहीं, बड़े महाराज ने बगावत, बगावत… बोल बोलकर इनकी नींद उड़ा रखी है। बड़े महाराज को नींद आती नहीं है, पर लगता है वो इनको भी आंखें नहीं झपकाने दे रहे।

गुणी महाराज ने तो कभी सोचा भी नहीं होगा कि वो राजा बन जाएंगे। वो तो भला हो, बड़े कबीले का, जो उनको मौका दे दिया।

गुणी महाराज से पहले उनके गुट के अक्कड़ और बुझक्कड़ महाराज ने बारी -बारी से सत्ता संभाली थी।

गुणी महाराज, जब से राजा बने हैं, अपने ही लोगों की निगाहों में चढ़ गए। उन्हीं के एक गुट के ढोलन महाराज, जो कभी यहां तो कभी बड़े कबीले में हाजिरी लगाते रहते हैं, इनको पसंद नहीं करते। लगता है, उन्होंने बड़बोले महाराज को अपने काम निकालने के लिए पटा लिया है।

कबीले के चुनाव में बहुत सारे किरदार आएंगे, जिनका आपसे परिचय कराते रहेंगे। अब उस जंगल की भी बात करते हैं, जिसमें कबीला बसा है।

कबीले में सियासत को समझने में जंगल के जीव ज्यादा रूचि लेने लगे हैं। वो इसलिए, क्योंकि शेर ने सभी को ऐसा हुकुम सुनाया है। शेर ने लक्कड़बग्घा को खासतौर पर यह जिम्मेदारी दी है।

लक्कड़बग्घा को शेर का विश्वसनीय माना जाता है। वह पूरे जंगल का चक्कर लगाकर शेर को बताता है कि आज सबसे ज्यादा जानवर कहां दिखेंगे। यानी वह शेर के शिकार की पूरी रणनीति बनाता है। शेर के छोड़े हुए टुकड़ों पर लक्कड़बग्घा की जिंदगी कट रही है।

वहीं, इसी जंगल में हिरन और खरगोश एक साथ घास के हरे मैदानों की सैर करते हैं। कुछ दिन से उनकी गपशप चुनाव पर ही केंद्रित होकर रह गई।

सुबह-सुबह मुलाकात में हिरन ने खरगोश से पूछा, क्या चल रहा है जंगल में, मुझे तो बहुत घबराहट होने लगी है। सुना है, कबीले में राजा की ही घेरेबंदी हो रही है।

“राजा की घेरेबंदी, कैसी बातें करते हो”, हिरन ने सवाल किया।

खरगोश बोला, अपने आसपास क्या हो रहा है, इस पर भी ध्यान दे लिया करो।

हिरन बोला, मैं कुछ समझा नहीं।

खरगोश ने कहा, लक्कड़बग्घा को तो तुम जानते ही हो।

हिरन ने जवाब दिया, उसको कौन नहीं जानता। शेर का बहुत खास है। उसके चक्कर में मत पड़ना। तुम्हारे से दोस्ती करके, तुम्हें ही शेर के हवाले कर देगा। ऐसा है वो।

खरगोश ने कहा, उसे मुझसे कुछ काम है, इसलिए मीठी मीठी बातें कर रहा था।

हिरन ने पूछा, क्या कह रहा था।

खरगोश ने कहा, कबीले में चुनाव होने वाले हैं। शेर ने लक्कड़बग्घे को चुनाव की हर सूचना देने को कहा है। शेर चाहता है, अगली बार जंगल में चुनाव कराकर राजा बन जाए। इसलिए यहां से राजा बनने के गुर सीखना चाहता है।

लक्कड़बग्घा कबीले में घुसा तो उसकी खैर नहीं। इसलिए मुझे कह रहा था, तुम्हें कबीले के बारे में कोई सूचना हो तो दे देना।

हिरन ने कहा, तुमने क्या कहा।

खरगोश ने बताया, मैंने तो उसके सामने शर्त रख दी कि वो हमारे किसी भी ठिकाने की सूचना शेर को नहीं देगा। तभी सूचना दूंगा। इस पर वो मान गया।

मैं तो कबीले में घूमता रहता हूं। वहां मेरे बहुत सारे दोस्त हैं, जो कबीले के हर गुट की सूचना देंगे। उन पर कोई शक भी नहीं करेगा।

हिरन बोला, मान गए दोस्त। पर, लक्कड़बग्घे को किसी भी सूचना से पहले मुझसे चर्चा कर लेना।….जारी

  • यह कहानी काल्पनिक है और इसका किसी से कोई संबंध नहीं हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button