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हमेशा सही ब्लड प्रेशर नहीं बताते घरेलू उपकरण

टोरंटो 


यदि आप भी घर पर ही अपना ब्लडप्रेशर जांचते हैं तो सावधान हो जाइये। एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि घरेलू मॉनीटर पर आंके जाने वाले ब्लडप्रेशर के 70 प्रतिशत मामले गलत होते हैं। लोग इन पर भरोसा करत हैं, जिसका खामियाजा उन्हें बाद में बिगड़ी हुई सेहत के रूप में चुकाना पड़ता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार शोध रिपोर्ट लाखों मरीजों पर किए गए अध्ययन के आधार पर तैयार की गई है, जो निजी उपकरणों की सहायता से अपने घर पर ही ब्लड प्रेशर की जांच करते रहे हैं। कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ एलबर्टा की जेनिफर रिंग्रोस का कहना है कि दुनिया में विकलांगता से होने वाली मौतों में से हाई ब्लडप्रेशर से होने वाली मौतों का आंकड़ा सबसे ज्यादा है।
लगातार निगरानी रखने से हाइपरटेंशन बीमारियों का असर घटाया जा सकता है। बस करना इतना है कि घरेलू ब्लड प्रेशर से मिलने वाली रीडिंग सटीक हो। रिंग्रोस व उनकी टीम ने दर्जनों होम मॉनीटर को जांचा और पाया कि वे सटीक नहीं थे। सत्तर प्रतिशत मामलों में मीटर का पारा गलत था। मीटर भी सही नहीं था। उन्होंने कहा कि घरेलू मीटर पर ब्लड प्रेशर देखने से पहले उसकी क्लीनिक के आंकड़े से तुलना करके जांचा जाना चाहिए। इसमें सटीक पाए जाने की स्थिति में ही उसे सही मान कर उसका उपयोग करना चाहिए।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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