Uttarakhand

पढ़ने लिखने का शौक है तो चले आइए परेड ग्राउंड

देहरादून। देहरादून के परेड ग्राउंड में सोमवार से नेशनल बुक ट्रस्ट और उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड ने दस दिन का पुस्तक मेला लगाया है। पुस्तक मेले का उद्घाटन राज्यपाल डॉ .कृष्णकांत पाल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित करके किया।

राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल ने कहा कि अच्छी किताबें, चरित्र निर्माण व व्यक्तित्व विकास में सहायक होती हैं। ज्ञान व सूचना के अंतर को समझना आवश्यक है। इंटरनेट व सोशल मीडिया से केवल सूचना मिलती है, जबकि किताबों से ज्ञान मिलता है। बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल ने कहा कि हिंदी साहित्य को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए इसके अंग्रेजी व अन्य भाषाओं में अनुवाद पर विशेष ध्यान देना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि आईटी व इंटरनेट के दौर में हर तरफ से तमाम तरह की सूचनाएं मिल रही हैं। परंतु बहुत सी सूचनाएं प्रामणिक नहीं होती है। इस तरह की भ्रामक सूचनाओं से बचना हमारे लिए बड़ी चुनौती है। किताबें इसमें हमारे लिए सहायक हो सकती हैं। राज्यपाल ने कहा कि ज्ञान किताबों से ही मिलता है। किताबें न केवल हमें ज्ञान प्रदान करती हैं बल्कि इनसे अच्छे विचार व अच्छी आदतें बनती हैं। चरित्र निर्माण व व्यक्तित्व विकास होता है।
उन्होंने कहा कि इंटरनेट के युग में बच्चों को भ्रामक जानकारियों से बचाते हुए अच्छी किताबों से जोड़ने का दायित्व अध्यापकों पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘‘मन की बात’’ पुस्तक के रूप में उपलब्ध है। यह बच्चों व युवाओं के लिए प्रेरणास्पद हो सकती है। राज्यपाल ने उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को देहरादून में स्तरीय पुस्तक मेले के आयोजन के लिए बधाई दी।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पुस्तक मेला सभी छात्रों और पाठको के लिए एक अच्छा अवसर है। पुस्तकों के बिना हमारा जीवन अधूरा है। पुस्तके मात्र छपी सामग्री ही नहीं है बल्कि यह ज्ञान का स्रोत हैं। यदि हम पुस्तकों का महत्व समझें तो यह हमारे जीवन में सुख का आधार है। उन्होंने छात्रों से कहा कि यदि उन्हें दोस्ती करनी है तो पुस्तकों से करें। पुस्तके ऐसी मित्र है जो कभी साथ नहीं छोड़ती।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पढ़ने की आदत पर विशेष बल देते हैं। आज आई टी, ई लाइब्रेरी, डिजिटल बुक्स के लोकप्रिय होने से तकनीकी क्षेत्र में संक्रमण काल चल रहा है। हमारे समक्ष चुनौती है कि हमें डिजिटल भी होना है तथा पुस्तकों का महत्व बनाए रखना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम संकल्प ले सकते हैं कि एक घंटा धार्मिक, सांस्कृतिक, तकनीकी, विज्ञान, ललित कला आदि से संबंधित पुस्तकें पढ़ें। उन्होंने पंचायत स्तर पर पुस्तक मेले आयोजित करने की बात कही।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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