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कोरोना संक्रमणः एम्स की जनरल ओपीडी सोमवार से बंद, ये सेवाएं चलती रहेंगी

टेलीमेडिसिन-इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी, कीमोथेरेपी-रेडियोथेरेपी सेवाएं भी सुचारू रहेंगी

देहरादून। कोविड -19 के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए एम्स,ऋषिकेश अस्पताल प्रशासन ने जनरल ओपीडी सुविधाओं को बंद करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय 24 जनवरी (सोमवार) से लागू होगा। अस्पताल में बढ़ती भीड़भाड़, संक्रमण के चलते यह निर्णय लिया गया है, लिहाजा अब इमरजेंसी मरीजों को छोड़कर अन्य सभी सामान्य स्तर के मरीज टेलीमेडिसिन ओपीडी के माध्यम से देखे जाएंगे। अस्पताल प्रशासन की ओर से इमरजेंसी सेवाएं, ट्रॉमा सेवाएं और रेडियोथेरेपी से संबंधित सेवाएं जारी रहेंगी।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में सोमवार( 24 जनवरी) से जनरल ओपीडी सेवाएं बंद करने का निर्णय लिया गया है। चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय की ओर से कोविड संक्रमण के लगातार बढ़ते ग्राफ के मद्देनजर आम मरीजों को सलाह दी गई है कि वो खुद को भी कोविड संक्रमण से बचाते हुए एम्स की टेलीमेडिसिन सेवाओं का लाभ उठाएं।

एम्स प्रशासन ने बताया कि अस्पताल में सभी प्रकार की इमरजेंसी सेवाएं पूर्व की भांति 24 घंटे जारी रखी गई हैं। एम्स में कार्यरत स्टाफ को भी शत-प्रतिशत कोविड गाइडलाइन का पालन करने की हिदायत दी गई है।

संस्थान के मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर अश्वनी कुमार दलाल ने एम्स प्रशासन ने बताया कि जनरल ओपीडी सेवाएं सोमवार से बंद रहेंगी, जबकि इमरजेंसी सेवाओं को 24 घंटे निर्बाध गति से संचालित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा कैंसर ग्रसित वो मरीज जिनका पहले से इलाज चल रहा है और जिन्हें कीमोथेरेपी तथा रेडियोथेरेपी की आवश्यकता होती है, उनके लिए यह दोनों सेवाएं भी सुचारू रहेंगी। एमएस प्रोफेसर अश्वनी कुमार दलाल ने बताया कि अनावश्यक परेशानी से बचने के लिए मरीजों को चाहिए कि वह एम्स की टेलीमेडिसिन सेवाओं का लाभ उठाएं और इस सेवा से चिकित्सकीय परामर्श प्राप्त करें।

मरीज टेलीमेडिसिन सेवाओं के संपर्क नम्बर निम्न हैं-

टोल फ्री नंबर- 1800-180-4278

दूरभाष नंबर- 7454989545, 9621539863, 7302895044

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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