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सर्वेक्षण और प्रश्नोत्तरी के माध्यम से फर्जीवाड़ा

भारतीय डाक ने सब्सिडी, पुरस्कार देने का दावा करने वाले फर्जी यूआरएल, वेबसाइट को लेकर सतर्क किया

नई दिल्ली। भारतीय डाक ने हाल के दिनों में ऐसा पाया है कि अनेक यूआरएल/वेबसाइट कुछ सर्वेक्षणों, प्रश्नोत्तरी के माध्यम से सरकारी सब्सिडी प्रदान करने का दावा कर रहे हैं। ये छोटे यूआरएल सहित व्हाट्सएप, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया और ईमेल/एसएमएस के माध्यम से लोगों को गुमराह करके फर्जीवाड़ा कर रहे हैं।

भारतीय डाक विभाग ने सूचित किया है कि वो सर्वेक्षण आदि के आधार पर सब्सिडी, बोनस या पुरस्कार की घोषणा जैसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं है। इस तरह की अधिसूचना/संदेश/ई-मेल प्राप्त करने वाले लोगों से अनुरोध है कि वे ऐसे फर्जी और नकली संदेश पर विश्वास न करें या इसका उत्तर या कोई व्यक्तिगत विवरण साझा नहीं करें।

विभाग ने लोगों से यह भी अनुरोध किया है कि किसी भी व्यक्तिगत रूप से पहचान-योग्य जानकारी जैसे जन्म तिथि, खाता संख्या, मोबाइल नंबर, जन्म स्थान और ओटीपी आदि साझा न करें।

डाक विभाग का कहना है, हालांकि विभिन्न रोकथाम तंत्रों के माध्यम से इन यूआरएल/लिंक्स/वेबसाइटों से बचाव के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। व्यापक तौर पर आम लोगों से एक बार फिर अनुरोध किया जाता है कि वो किसी भी फर्जी / नकली संदेशों / संचार / लिंक पर विश्वास न करें या उनका जवाब न दें। प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) की इंडिया पोस्ट और फैक्ट चेक यूनिट ने इन यूआरएल/वेबसाइटों को सोशल मीडिया के जरिए फर्जी घोषित किया है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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