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पौधे से बनी वैक्सीन करेगी पोलियो का खात्मा

लंदन। वैज्ञानिकों ने पौधे की सहायता से पोलियो वायरस पर प्रभावी एक नया टीका विकसित किया है। इस खोज को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि अब भी अनेक देशों में एक बड़ी समस्या बना हुआ है। खोज से दुनियाभर में पोलियों खत्म करने में मदद मिलेगी।

न्यू वैक्सीन वीएलपी कणों से तैयार की गई है। इसके तहत पोलियो वायरस से वीएलपी को पौधे पर उगाते हैं, जिससे वीएलपी पैदा करने वाले जीन पौधे के ऊतकों में घुस जाते हैं। इसके बाद पौधा इसकी ज्यादा मात्रा उत्पन्न करता है। ब्रिटेन स्थित रिसर्च ऑर्गनाइजेशन जॉन इंस सेंटर के प्रोफेसर जॉर्ज लोमोनोसोफ ने बताया कि हमारे लिए अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसे बढ़ाया कैसे जाए। हम इसे प्रयोगशाला तकनीकी तक रोकना नहीं चाहते।

उधर, अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नई और सस्ती आणविक रक्त परीक्षण प्रणाली (मॉलिक्यूलर ब्लड टेस्ट सिस्टम) विकसित की है, जिसकी सहायता से कैंसर की वृद्धि और फैलाव का शीघ्र पता लगाया जा सकता है। इस टेस्ट में केवल थोड़े से खून की जरूरत होती है।

इसकी सहायता से खून में कैंसर कोशिकाओं द्वारा जारी किए जाने वाले डीएनए की मात्रा में हुए आनुवंशिक बदलाव की पहचान की जा सकेगी। इस शोध का प्रकाशन ‘द जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर डॉयग्नोस्टिक’ में किया गया है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर हैनली पीजी ने कहा कि ट्यूमर की निगरानी के लिए सिर्फ रक्त परीक्षण विधि मौजूद है, जो कुछ खास तरह के कैंसर तक ही सीमित है।

कैंसर मरीजों को पूरे शरीर में निगरानी की जरूरत होती है, जो ज्यादा खर्चीली, जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया है। हैनली ने कहा कि इसके विपरीत आणविक परीक्षण मरीज के हर बार अस्पताल आने पर ही संभव है, इसलिए इससे कैंसर की वृद्धि और फैलाव का जल्द पता लगाना संभव है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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