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कांग्रेस में एंट्री मिल भी गई तो चुनाव नहीं लड़ेंगे हरक सिंह !

कांग्रेस में किसी तरह का हठ करने की स्थिति में नहीं होंगे हरक सिंह

देहरादून। भाजपा से निष्कासित पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह को अभी तक कांग्रेस में एंट्री नहीं मिली है। संभावना जताई जा रही है कि यदि हरक सिंह कांग्रेस में शामिल हो भी जाते हैं तो उनकी मुंहमांगी मुराद पूरी नहीं होने वाली। हरक सिंह या उनकी पुत्रवधु दोनों में से कोई एक ही कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं, ऐसे में इस बात की पूरी संभावना जताई जा रही है कि हरक सिंह अपनी पुत्रवधु अनुकृति गुसाई के लिए टिकट मांगेंगे।

पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह ने कुछ दिन पहले कहा था, उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार पूर्ण बहुमत से आने वाली है। मैं अब कांग्रेस से बातचीत करूंगा और मैं कांग्रेस में ही जाऊंगा और किसी पार्टी में नहीं जाऊंगा और बिना शामिल हुए भी मैं कांग्रेस के लिए काम करूंगा।

इनके इस वक्तव्य से यह संकेत तो मिलता है कि हरक सिंह कांग्रेस में किसी तरह का हठ करने की स्थिति में नहीं होंगे। जिस तरह तीसरे दिन भी हरक सिंह के लिए कांग्रेस का दरवाजा नहीं खुला है, उससे साफ जाहिर है कि एक समय में उनके लिए कांग्रेस में शामिल होना भले ही आसान टास्क था, पर भाजपा से बर्खास्तगी के बाद उनकी स्थितियों में काफी विपरीत बदलाव आया है।

इस बात की पूरी संभावना जताई जा रही है कि हरक सिंह को कांग्रेस में एंट्री मिलती भी है तो टिकट नहीं मिलेगा। हरक सिंह को संगठन के लिए पूरी क्षमता से काम करने को कहा जाएगा। इससे स्पष्ट होता है कि हरक सिंह डोईवाला से चुनाव नहीं लड़ेंगे।

कांग्रेस के हरक सिंह को टिकट नहीं देने की संभावना इस बात से भी पुष्ट होती है, क्योंकि हरक सिंह के निष्कासन के बाद ही कांग्रेस में उनका विरोध शुरू हो गया था। उन सीटों पर ज्यादा विरोध देखा गया, जिन पर हरक सिंह चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे थे। यह विरोध इसलिए भी हो रहा है,क्योंकि वर्षों से अपने-अपने क्षेत्रों में काम कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ता और टिकट के दावेदार, नहीं चाहते हैं कि संगठन के लिए काम वो करें और चुनाव के वक्त संगठन किसी और को अवसर उपलब्ध करा दे। पार्टी में विरोध को देखते हुए कांग्रेस चुनाव के वक्त किसी तरह की असहज स्थिति का सामना करने को तैयार नहीं है। कुछ दिन पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पर संगठन के स्तर से कार्रवाई करके यह संदेश दिया गया था।

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी हरक सिंह का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि 2016 में हरक सिंह भी उस बगावत में शामिल थे, जिससे उनकी सरकार संकट में आ गई थी। हरीश रावत का कहना है कि माफी मांगने के बाद ही उनको कांग्रेस में एंट्री मिल सकती है।

हालांकि हरीश रावत ने कुछ माह पहले भी यह कहा था कि माफी मांगने के बाद ही कांग्रेस में एंट्री मिलेगी, तब हरक सिंह रावत ने उनका काफी विरोध किया था। उनके बीच जुबानी जंग मीडिया में सुर्खियां बनी थीं। पर, तीन दिन पहले बदले घटनाक्रम पर हरीश रावत के पुनः इस बयान को दोहराने पर हरक सिंह की प्रतिक्रिया में बहुत नरमी और हरीश रावत के लिए काफी सम्मान दिखा। उनका कहना है कि हरीश रावत बड़े भाई हैं और मैं उनसे सौ-सौ बार माफी मांग सकता हूं, इससे स्पष्ट है कि हरक सिंह अपने प्रति बदलते राजनीतिक परिवेश के अनुसार ही कोई कदम उठाएंगे, भले ही उनको टिकट मिले या नहीं।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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