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जानिए मुलेठी से आपको क्या फायदा हो सकता है

मुलेठी को आमतौर पर खांसी के इलाज में फायदेमंद माना गया है पर यह इतने तक ही सीमित नहीं है। आयुर्वेद में मुलेठी को बेहद गुणकारी माना गया है। मुलेठी की जड़ को उखाड़ने के बाद दो वर्ष तक उसमें औषधीय गुण रहते हैं। इसका औषधि के रूप में प्रयोग बहुत पहले से होता आया है।
मुलेठी पेट के रोग, सांस संबंधी रोग, स्तन रोग को दूर करती है। ताजी मुलेठी में पचास प्रतिशत पानी होता है, जो सुखाने पर मात्र दस प्रतिशत ही शेष रह जाता है। ग्लिसराइजिक एसिड के होने के कारण इसका स्वाद साधारण शक्कर से पचास गुना अधिक मीठा होता है। हैं मुलेठी के लाभ इस प्रकार हैं।
लिवर को फायदा
मुलेठी पीलिया, हेपेटाइटिस और फैटी लिवर जैसे लिवर रोगों के इलाज में मदद करती है। इसके प्राकृतिक एंटी-ऑक्सिडेंट गुण विषाक्त पदार्थों के कारण जिगर के नुकसान से रक्षा करते हैं। इसके अलावा, मुलेठी हेपेटाइटिस के कारण जिगर की सूजन को शांत करने में मदद करती है।
सांस रोगों के संक्रमण को करे दूर
मुलेठी गले में खराश, सर्दी, खांसी और दमा के रूप में सांस रोगों के संक्रमण का इलाज करती है। एंटीऑक्सिडेंट गुण के कारण ब्रोन्कियल नलियों की सूजन को कम करने और वायुमार्ग को शांत करने में मदद करती हैं। यह बलगम को निकालती है, जिससे खांसी में आराम मिलता है।
दांत को रखे ठीक
मुलेठी जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी गुण के कारण कैविटी वाले बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकती है, प्लाग को कम करती है। दांतों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मुलेठी जड़ के पाउडर का प्रयोग करना चाहिए।
रोग प्रतिरोधक प्रणाली करे मजबूत
मुलेठी लिम्फोसाइटों और मैक्रोफेज जैसे रसायनों के उत्पादन में मदद करती है, इससे हमारी रक्षा प्रणाली (इम्युन सिस्टम) में सुधार लाते हैं। मुलेठी में मौजूद लीकोरिस जड़ कब्ज, अम्लता, सीने में जलन, पेट के अल्सर, जैसी पाचन समस्याओं के इलाज में सहायक है। यह जीवाणुरोधी गुण पेट में सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
अवसाद में है फायदेमंद
मुलेठी अवसाद के इलाज में मदद करती है। मुलेठी अधिवृक्क ग्रंथि को सुधारती है, जो घबराहट और अवसाद से लड़ने में मदद करती है। इसमें मैग्नीशियम, कैल्शियम और बीटा कैरोटीन जैसे खनिज और फ्लेवोनॉइड्स हैं, जो अवसाद को दूर करने में मदद करते हैं। इसलिए अवसाद से पीड़ित लोगो को भी इसका सेवन करना चाहिये।

* किसी भी समस्या पर चिकित्सक या विशेषज्ञ से अनिवार्य रूप से जानकारी लेने की सलाह दी जाती है।

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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