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इस बरसात उत्तराखंड लगाएगा एक करोड़ पौधे

  • मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने बीएसएफ परिसर से की महाअभियान की शुरु

देहरादून


मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरेला पर्व पर अपील करते हुए कहा कि राज्य का हर व्यक्ति एक पौधा जरूर लगाए। मुख्यमंत्री ने ‘‘एक व्यक्ति एक वृक्ष’’ का नारा देते हुए रविवार को बीएसएफ इंस्टिट्यूट डोईवाला में हरेला पर्व 2017 की शुरुआत की।

मुख्यमंत्री ने अन्य मंत्रियों तथा विधायकों के साथ बीएसएफ परिसर में हरण, अमर लता, आंवला तथा तेजपात औषधीय महत्व के पौधों को रोपा। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि वन विभाग ने इस वर्षाकाल में राज्य भर में 50 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य रखा है, साथ ही अन्य विभाग, संगठन और संस्थाए 50लाख पौधे रोपेंगे। इस वर्षाकाल में एक करोड़ नये पौधे लगाए जाएंगे। हरियाली के पर्व हरेला पर हम सभी को वृक्षारोपण का संकल्प लेना होगा हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है कि एक वृक्ष 10 पुत्रों के समान होता है। प्राचीन काल से ही भारतीय सभ्यता में वृक्षों की रक्षा की परंपरा रही है हमारी परंपरा में पीपल वृक्ष को पूजनीय तथा चिरंजीवी माना जाता है। वटवृक्ष हमारी आस्था तथा अध्यात्म से जुड़ा हुआ है अतः हमारे अधिकारी भी पीपल के रोपण को महत्व दे रहे हैं क्योंकि इसके धार्मिक महत्व के कारण कोई इसे काटता नहीं है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हमारे लोकगीत तथा पर्व भी प्रकृति प्रेम एवं पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं तथा हमें जीवन कैसे जीना चाहिए इसका मार्गदर्शन भी करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेला हरियाली तथा ऋतुओं का पर्व है, हमें प्रकृति संरक्षण व प्रेम की अपनी संस्कृति, परंपराओं तथा उत्सवों को बनाए रखना होगा। पर्यावरण संरक्षण तथा अधिकाधिक वृक्षारोपण की अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एक पेड़ एक दिन में 4 व्यक्तियों के लिए ऑक्सीजन की मात्रा सुनिश्चित करता है। एक पेड़ एक कमरे को उतना ही ठंडा रख सकता है जितना की एक एसी 20 घंटे तक। विश्व में सर्वाधिक वृक्ष रूस में पाए जाते हैं उसके बाद कनाडा तथा अमेरिका दूसरे तथा तीसरे स्थान पर है। भारत में 35 अरब पेड़ हैं। भारत में प्रति व्यक्ति 28 वृक्ष है। अतः हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के हरेला पर्व की थीम वृक्षारोपण के साथ नदियों का पुनर्जीवन तथा संरक्षण है। राज्य के प्रत्येक जिले में एक नदी, धारा, गदेरा चिन्हित किया गया है जिसे पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जाएंगे। देहरादून में सुसवा नदी के किनारे पौधारोपण किया जा रहा है। नदियों के पुनर्जीवन के साथ ही जल संरक्षण को भी गति मिलेगी। ऐसे पौधे लगाने के प्रयास किए जाएंगे जिनसे स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ भी मिले।

15 अगस्त तक 50लाख पौधे पूरे प्रदेश में लगाए जाएंगे परंतु इस महाअभियान में जन सहभागिता व जन सक्रियता भी अनिवार्य है। जनता की सक्रियता तथा सहभागिता से ही आज तक के सभी अभियान सफल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें पर्यावरण संरक्षण तथा वृक्षारोपण के बारे में आज ही समझने की जरूरत है, हमारे पास कल का समय नहीं है। जन सहभागिता से इस अभियान को महा अभियान बनाना होगा। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि जितना अधिक संभव हो पौधारोपण करें। चाहे हम अपने घरों में सजावटी, नींबू, अमरूद तथा अन्य फलदार पौधे ही लगाएं तथा लगाए गए पौधों की सुरक्षा पर भी ध्यान दें। इस अवसर पर कार्यक्रम को विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, वन मंत्री हरक सिंह रावत, पर्यटन मंत्री  सतपाल महाराज, कृषि मंत्री  सुबोध उनियाल ने भी संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने स्कूली बच्चों को पौधे भी वितरित किए।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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